चालाक खरगोश - Child Story in Hindi With Moral
Child Story in Hindi : हेलो दोस्तो! आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने वाले है एक बहुत ही सुंदर और प्यारी सी "बच्चों शिक्षाप्रद की कहानी" ('Kids/Child Story in Hindi With Moral'). मैं उम्मीद करता हूं, आपको यह कहानी पसंद आएगी और आने वाले समय में ऐसी बहुत सी हिंदी कहानियां मैं आपके लिए इस ब्लॉग पर लाता रहूंगा. इसीलिए आप लगातार ऐसी Hindi Kahaniyan पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग पर बने रहिए. आज की हमारी कहानी एक "Hindi Moral Story" है. इस कहानी का शीर्षक है-- "चालाक खरगोश".
●कछुए की समझदारी
●पंचतंत्र की कहानियां (भाग-1)
चालाक खरगोश - Child Story in Hindi With Moral
एक समय की बात है! किसी जंगल में एक भालू रहता था. वह बहुत ही कपटी प्रवति का था. उस भालू को शहद खाने का बहुत शौक था. वह अक्सर जंगलों की मधुमक्खियों से जबरदस्ती शहद छीन कर खाया करता था. उसी जंगल में एक बेहद चालाक खरगोश भी रहता था. एक दिन भालू जंगल में से मधुमक्खियों से शहद छीनकर ला रहा था. | "Child Story in Hindi"तभी खरगोश को शहद के बारे में पता चला. खरगोश ने शहद को खाने के लिए एक योजना बनाई और स्वयं योजना के अनुसार उस रास्ते पर जा कर लेट गया, जहां से भालू गुजरने वाला था. भालू जैसे-जैसे खरगोश के नजदीक आ रहा था वैसे-वैसे खरगोश जोर जोर से कराह ने लगा और कहने लगा-- "अब तो मेरे मरने के दिन नजदीक आ गए हैं आह आ.....!!"
ऐसे कराहते हुए खरगोश को देख भालू को उस पर दया आ गई, भालू ने खरगोश से पूछा-- "क्यों भाई! खरगोश क्या हुआ इतना कराह क्यों रहे हो". खरगोश ने कराहते हुए कहा-- "क्या करें बालू भैया! पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा है. अब तो अंतिम समय नजदीक आ गया ऐसा लगता है". खरगोश ने और तेज कराहते हुए भालू से कहा-- "क्या भालू भैया! आप मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर मेरी गुफा तक छोड़ सकते हैं".
भालू को उस पर दया आ गई. उसने बिना कुछ सोचे समझे हामी भर दी और खरगोश को अपनी पीठ पर बैठा लिया. अब खरगोश बड़ी चालाकी के साथ धीरे-धीरे भालू की पीठ पर लदे सारे शहद को चट कर गया. जब इस बात का भालू को आभास हुआ तो उसने खरगोश की पूंछ पकड़ ली. लेकिन खरगोश ने भागने के लिए जोर से ताकत लगाई और खरगोश की पूंछ टूटकर भालू के हाथ में रह गई, खरगोश भागता हुआ चला गया. | "Kids Story in Hindi"
खरगोश चालक था. उसे पता था कि अब भालू नहीं छोड़ेगा और कटी हुई पूछ से तुरंत पहचान लेगा. इसीलिए खरगोश ने अपनी खरगोशों की बस्ती में यह अफवाह फैला दी कि-- "एक बीमारी सभी खरगोशों की पूंछ में पैदा हो गई है. जिसके कारण कई खरगोश मर रहे हैं. यदि आप सभी खरगोश उस बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपनी पूंछ को कटा लें, जैसे मैंने कटवा ली है, खरगोश ने अपनी पूंछ दिखाते हुए कहा".
फिर क्या था सभी खरगोश ने अपनी पूंछ कटा ली. जब भालू ने सभी खरगोश को एकत्रित किया और सजा के लिए उस खरगोश को ढूंढना चाहा जिसकी पूंछ कटी हुई थी. लेकिन सभी खरगोश की पूंछ कटी देखकर भालू हैरान रह गया और मन ही मन खरगोश की चालाकी को समझ गया. अब भालू चालाक खरगोश को पहचानने में असमर्थ था और चुपचाप अपनी राह चलता बना. | "Moral Story in Hindi"
Story Moral - इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है- "बुद्धि के प्रयोग से सभी मुसीबतों का हल आसानी से निकाला जा सकता है"
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