रंगों के त्यौहार होली पर निबंध | Essay On Holi Festival in Hindi


Essay on Holi Festival in Hindi (होली पर निबंध) : हेलो मित्रो! समस्त देशवासियों को Holi Festival की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बताएंगे रंगो के त्यौहार "होली पर्व" के बारे में. इस लेख के लिख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि - "होली क्यों मनाई जाती है. (Why We Celebrate Holi in Hindi)" साथ ही साथ हम आपको "इस साल में होली कब है?" इससे भी अवगत कराएंगे. अगर आप होली के बारे में नहीं जानते तो हम आपको जानकारी के लिए बता दें - 'होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, इस त्यौहार को भारत में बच्चे, बड़े-बूढ़े और सभी वर्गों के लोग एक दूसरे को रंग लगाकर प्रेम पूर्वक मनाते हैं. रंगो के त्यौहार होली के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है. लेकिन फिर भी इस "Short Essay on Holi Festival" के माध्यम से हम Holi Festival के सभी जरूरी तथ्यों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे.


होली पर निबंध - Essay On Holi Festival in Hindi Language For Class 5, 6, 7, 8, 9, 10

Essay On Holi Festival in Hindi

भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां साल भर त्योहारों की धूम मची रहती है. इन्हीं त्यौहारों में से Holi Festival भी भारत का एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है. होली को हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी के फागुन माह में पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है. होली को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है इस दिन लोग एक दूसरे से रंग लगाकर सभी पुराने शिकवे गिले को बुलाकर होली मनाते हैं.

 होली कैसे मनाई जाती है? (How Is Holi Celebrated in India)

Holika dahan

Holi Festival एशिया के कई देशों में मनाया जाता है, जैसे - नेपाल, सिंगापुर, पाकिस्तान और भारत लेकिन प्रमुख तौर से होली को भारत का त्योहार होने का दर्जा प्राप्त है. होली को फागुन के महीने में पूर्णमासी के दिन मनाया जाता है, इस दिन चांद की दूधिया रोशनी में जगमगाती हुई रात को लकड़ी के ढेर में आग लगाकर होलिका दहन की रस्म को पूरा किया जाता है.

इस रस्म के बाद अगले दिन की सुबह से लोग धूलिया होली खेलते हैं, धूलिया होली में लोग एक दूसरे से मिट्टी लगाकर गले मिलते हैं और पुराने शिकवे गिले को भुला कर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं. इस दिन घर पर सभी स्त्रियां तरह तरह की मिठाइयां और पकवान बनाती हैं और इस तरह होली का पहला दिन बीत जाता है.

दूसरे दिन "भाई दूज" नामक परंपरा को रस्मो-रिवाज के साथ निभाया जाता है, भाई दूज के दिन सुबह से घरों में चहल पहल रहती है इस दिन सभी बहनें अपने भाई का टीका करती हैं और भाई उनको रक्षा का वचन देते हैं और बहन को दक्षिणा स्वरूप उपहार, रुपए और कपड़े दान करते हैं. भाई दूज की परंपरा को दोपहर तक पूरी तरह निभा लिया जाता है.


 इसके पश्चात दोपहर से रंग होली का आरंभ होता है, रंग होली में परिवार जन, इष्ट-मित्र, रिश्तेदार आदि एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं. रंग होली को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है. भारत में सबसे दिलचस्प होली वृंदावन और मथुरा में मनाई जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी उत्तर भारत का रुख करते हैं.

लाठीमार होली image

वृंदावन और मथुरा में होली श्रीकृष्ण की याद में मनाई जाती है. वृंदावन में खेली जाने वाली होली को डंडा मार होली के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों बड़ी तादाद में भाग लेते हैं. रंग होली वाले दिन भांग नामक नशीले पदार्थ के सेवन को परंपरा के रूप में निभाया जाता है, इस परंपरा रूपी व्यसन में स्त्री-पुरुष दोनों बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और भांग के नशे में मगनमुग्ध हो जाते हैं.

होली क्यों मनाई जाती है? जानिए पौराणिक कहानी

Essay On Holi in Hindi

भारत में होली मनाने के पीछे कई पुरानी परंपराएं एवं मान्यताएं जुड़ी है जिनमें सबसे प्रमुख मान्यता है - होलिका और भक्त प्रहलाद की कथा है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरणाकश्यप नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जो उस समय के सबसे बलवान राक्षसों में से एक माना जाता था.

 हिरणाकश्यप को देवताओं से बहुत नफरत थी वह देवताओं के देव विष्णु भगवान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था. लेकिन हिरणाकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, इसीलिए हिरणाकश्यप अपने पुत्र की वजह से काफी अशांत रहता था. हिरणाकश्यप ने पहलाद को डराकर धमका कर समझाने का कई बार प्रयास किया, लेकिन हर बार असफल रहा.

 प्रहलाद किसी की परवाह न करते हुए, भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे, इसी कारण हिरणाकश्यप ने प्रहलाद को मृत्युदंड देने का काफी प्रयास किया, पुराणों के अनुसार प्रहलाद को मृत्युदंड के दौरान - जहर देकर मारने की कोशिश की, हाथी के पैर से कुचला गया और पहाड़ों से फेंका गया लेकिन भगवान विष्णु की कृपा होने के कारण हिरणाकश्यप प्रहलाद को मारने में हर बार असफल रहा.

 प्रहलाद को मृत्यु दंड देने में कई बार असफल होने के बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रहलाद को आग से जला कर मृत्यु दंड देने की योजना बनाई. दरअसल हिरणाकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था, कि वह अग्नि में नहीं जलेगी. इसीलिए होलिका ने षड्यंत्र रचा कि वह प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठेगी ताकि प्रहलाद अग्नि में जल कर मृत्यु को प्राप्त हो जाए.


 लेकिन जब होलिका प्रहलाद को लेकर आग में गई तो होलिका अग्नि में जल कर राख हो गई और पहलाद ज्यों के त्यों अग्नि से बाहर आए, प्रहलाद के जिंदा बचने की खुशी में लोगों ने इस दिन को त्योहार के रूप में मनाना शुरू कर दिया और यही से होली नामक त्यौहार का जन्म हुआ.

दरअसल होली मनाने के पीछे जो पौराणिक कथाएं हैं उनका एकमात्र उद्देश्य बुराई पर सच्चाई की जीत को दर्शाना है. यह पौराणिक कथाएं हमें हमें हमारी भारतीय संस्कृति के बारे में याद दिलाती हैं. होली भी हमारी संस्कृति का बेजोड़ हिस्सा है और होली हमें बताती है - कि सच्चाई हमेशा अच्छी होती है और बुराई का अंत बुरा ही होता है, सच्चाई की जीत और बुराई की हार को दर्शाने के लिए होली त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

होली पर सावधानियां 

🔹होली मनाते समय आप संयम और विवेक का उपयोग करें! क्योंकि आजकल होली जैसे त्यौहारों पर भी झगड़े देखने को मिलते हैं. इस दिन आप संयम बनाए रखें, क्योंकि होली प्यार और दुलार का त्यौहार है, ना कि नफरत और ईर्ष्या का त्योहार.


🔹आजकल मार्केट में केमिकल युक्त रंग आ रहे हैं जो आपकी त्वचा को हानि पहुंचा सकते हैं, जिसके कारण आप चर्म रोग से ग्रसित भी हो सकते हैं इसीलिए ज्यादा से ज्यादा हो सके तो गुलाल से होली खेले और रंगों से अपनी त्वचा को दूर रखें.


🔹भारत में त्योहार आने पर मार्केट में मिठाइयों की डिमांड बड़े स्तर पर बढ़ जाती है, जिसके कारण मिठाइयों में मिलावट की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है इसीलिए आप घर की बनी हुई मिठाइयां जैसे - गुजिया, लड्डू, पेड़े आदि का उपयोग करें.

2019 में होली कब है?

होली रंगों का त्योहार है इसीलिए इस त्यौहार को पानी और रंग लगाकर मनाया जाता है. होली को मनाने का जो निश्चित समय है, वह सर्दियों के बीत जाने के बाद फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के रात को होलिका दहन से होली की शुरुआत होती है. 2019 की होली 20 मार्च 2019 को होलिका दहन से शुरू होगी और 21 मार्च 2019 की सुबह से मिट्टी की होली (धूलिया होली) की सुरुआत होगी. इसके बाद 22 मार्च 2019 की सुबह भाई दूज और दोपहर से रंग की होली की शुरुआत होगी.


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