हीर रांझा के प्यार की अद्भुत कहानी | Heer Ranjha True Love Story in Hindi



Heer Ranjha Love Story in Hindi
 : हीर रांझा की प्रेम कहानी भारत की सबसे प्रसिद्ध 'True Love Stories' मैं से एक है. अगर देखा जाए तो भारत एक ऐसा देश है जहां पर अनेकों 'Love Story' भरी पड़ी है. जिनमें से लैला मजनू की प्रेम कहानी भी एक है. लेकिन आज हम आप से Heer Ranjha की प्रेम कहानी  शेयर करेंगे.

"हीर रांझा की कहानी" उन चुनिंदा प्रेम कहानियों  में से एक है जिनका अंत बेहद दुखद रहा. आज के समय में लाखो युवा प्रेमी हीर-रांझा के प्यार की कसमें खाते हैं, जो उनके प्यार की पवित्रता को दर्शाता है. तो चलिए दोस्तों जानते हैं हीर रांझा की अद्भुत 'Love Story' के बारे में.

हीर रांझा के प्यार की अद्भुत कहानी - Heer Ranjha True Love Story in Hindi

Heer Ranjha True Love Story in Hindi

यह कहानी है उस समय की जब भारत और पाकिस्तान एक देश हुआ करता था और तब ये दोनों देश विभाजित नहीं हुए थे. तब चिनाब नदी के किनारे तख्त हजारा नामक गांव में रांझा जनजाति के जाट परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ.

  इस लड़के का नाम Ranjha रखा गया. रांझा इस परिवार का सबसे छोटा बेटा था. रांझा से बड़े तीन भाई थे, जो खेती का काम किया करते थे. और रांझा मां बाप का सबसे दुलारा बेटा होने के कारण आराम से मस्त रहकर बांसुरी बजाता था. लेकिन रांझा की किस्मत में यह आराम न होकर विधाता ने कुछ और ही लिख रखा था.


 रांझा की भाभीयों के द्वारा गृह क्लेश करने के कारण रांझा अपना घर छोड़ दिया और इधर उधर भटकने लगा. रांझा भटकते भटकते हुए हीर के गांव "झंग" पंजाब (अब पाकिस्तान में है) मैं जा पहुंचा. उसने वहां पहली बार हीर को देखा. और पहली नजर में ही रांझा को हीर से प्यार हो गया.

हीर सियाल जनजाति में पैदा हुई एक अमीर परिवार की लड़की थी. और जब हीर ने जवान नवयुवक रांझा को देखा तो हीर भी उसे अपना दिल दे बैठी. हीर नहीं चाहती थी कि रांझा उसे छोड़कर कहीं और जाए इसीलिए हीर ने रांझे को अपने पिता से कहकर गाय भैंस चराने के काम पर लगवा दिया. और साथ ही साथ हीर और रांझा छुप छुप कर मुलाकात करने लगे.

 लेकिन वह कहते है ना कि ये इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए कि आग का दरिया है और डूब कर जाना है.
 हीर और रांझा की पनपती हुई मोहब्बत को ग्रहण तब लग गया. जब हीर के चाचा कैदो ने दोनों को मिलते हुए देख लिया. और तब हीर के चाचा ने सारी बात हीर के माता (मलिकी) और पिता (चुचक) को बताई. यह खबर सुनने के बाद Heer के माता-पिता ने हीर का विवाह सेदाखेड़ा नामक युवक से हीर की मर्जी के खिलाफ कर दिया.

 रांझा हीर की शादी होते हुए देख दुखी होकर कनफटे समुदाय के फकीर से गुरु दक्षिणा लेकर फकीर बन गया. और गांव गांव और गली कूचे मैं गीत गाते हुए भटकने लगा. एक दिन अचानक वह हीर के ससुराल में जा पहुंचा. और वहां पर उसकी मुलाकात हीर से हुई.

उन दोनों ने वहां से भाग जाने की योजना बनाई. इस योजना में हीर और रांझा काफी हद तक कामयाब भी हो गए. लेकिन स्थानीय राजा के द्वारा पकड़े जाने पर दोनों को कड़ा इम्तिहान देना पड़ा. इस इम्तिहान के बाद राजा को एहसास हुआ कि हीर रांझा दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते है.

 इसके बाद राजा ने हीर का विवाह रांझा के साथ करने का आदेश दिया. लेकिन हीर की खुशी हीर के चाचा से बर्दाश्त नहीं हुई. अंत वही हुआ जिसका डर था. शादी के दौरान हीर का चाचा हीर के खाने में जहर मिलाकर, वो खाना हीर को खिला देता है. और ज़हर वाला खाना खाने के कारण हीर की मौत हो गई.

 जब ये बात रांझा को पता चली कि हीर इस दुनिया में नहीं है. तो उसने भी उस जहर वाले खाने को खा कर खुदकुशी कर ली. और इस कहानी का अंत भी बाकी प्रसिद्ध प्रेम कहानियों की तरह बेहद दुखद होता है.

 आज भी हीर रांझा की मजार झंग पाकिस्तान में मौजूद है. और वहां आज भी लाखों प्रेमी प्रेमिका अपने मन में सुखी जीवन की कामना  लिए वहां जाते हैं.


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